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*गलगोटियाज यूनिवर्सिटी के दिव्यांग अधिकार क्लिनिक ने मनाया विश्व दिव्यांगता दिवस और द्वितीय वर्षगांठ*

*गलगोटियाज यूनिवर्सिटी के दिव्यांग अधिकार क्लिनिक ने मनाया विश्व दिव्यांगता दिवस और द्वितीय वर्षगांठ*

(आशीष सिंघल
3 दिसंबर 2024)

गलगोटियाज यूनिवर्सिटी के दिव्यांग अधिकार क्लिनिक ने मनाया विश्व दिव्यांगता दिवस और द्वितीय वर्षगांठ

परिवार का अधिकार: दिव्यांग अधिकार और पारिवारिक समावेशन का उत्सव

ग्रेटर नोएडा, 3 दिसंबर 2024 – गलगोटियाज यूनिवर्सिटी ने विश्व दिव्यांगता दिवस और अपने दिव्यांग अधिकार क्लिनिक (डीआरसी) की दूसरी वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया। इस वर्ष की थीम “पारिवारिक समावेशन” थी, जो दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों और उनके परिवारों के समावेशी प्रयासों की अहमियत पर आधारित थी।

कार्यक्रम की शुरुआत दिव्यांग अधिकार क्लिनिक की संस्थापक और प्रमुख डॉ. स्मिता निजार के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने इस विशेष अवसर के महत्व पर प्रकाश डालते हुए समाज में दिव्यांग व्यक्तियों की स्वीकृति और समानता सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

नुक्कड़ नाटक “परवरिश” की प्रस्तुति

डीआरसी की छात्र टीम ने “परवरिश” शीर्षक से एक प्रभावशाली नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया। इस नाटक ने समावेशी पालन-पोषण और दिव्यांग व्यक्तियों को समाज से अलग करने वाली बाधाओं के खिलाफ जागरूकता फैलाने का प्रयास किया। नाटक ने दर्शकों को भावनात्मक रूप से छुआ और पारिवारिक स्वीकृति के महत्व पर जोर दिया।

प्रमुख वक्ताओं का संबोधन और पैनल चर्चा

इस कार्यक्रम में दिव्यांग अधिकार कार्यकर्ता श्री निलेश सिंगित और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. डॉ. जगदीश चंदर ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया।

श्री निलेश सिंगित ने “समावेशी परिवार और समान अधिकार: दिव्यांग व्यक्तियों के लिए कानूनी क्षमता और स्वायत्तता” विषय पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से बताया कि किस प्रकार परिवार और समाज मिलकर समावेशी वातावरण बना सकते हैं।

डॉ. जगदीश चंदर ने “परिवार का अधिकार: एक कानूनी अधिकार या व्यक्तिगत विकल्प?” विषय पर चर्चा करते हुए दिव्यांग व्यक्तियों की पारिवारिक और सामाजिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला।

डीआरसी की उपलब्धियां और भावी योजनाएँ

कार्यक्रम के दौरान डीआरसी की वार्षिक रिपोर्ट और आगामी योजनाओं का विमोचन किया गया। रिपोर्ट में डीआरसी की महत्वपूर्ण उपलब्धियों जैसे “अदृश्य दिव्यांगता अधिकार सप्ताह” और “लैंगिक न्याय: ट्विन-ट्रैक दिव्यांगता अधिकार परिप्रेक्ष्य” को रेखांकित किया गया।

समाज में जागरूकता और सकारात्मक बदलाव

कार्यक्रम में शामिल प्रतिभागियों ने डीआरसी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने माना कि डीआरसी के साथ जुड़ने से उनकी सोच में सकारात्मक बदलाव आया है।

समापन और भविष्य की दिशा

कार्यक्रम में कानून के छात्रों, शिक्षकों, ग्रैड्स इंटरनेशनल स्कूल के दिव्यांग छात्रों, और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभी ने दिव्यांग व्यक्तियों और उनके परिवारों के लिए समावेशिता को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जताई।
गलगोटियाज विश्वविद्यालय के सीईओ डा० ध्रुव गलगोटिया ने इस अवसर पर कहा कि गलगोटियाज यूनिवर्सिटी का यह प्रयास समाज में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों को सशक्त बनाने और एक समावेशी समाज की नींव रखने में मील का पत्थर साबित हो रहा है।

 

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