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*शारदा विश्वविद्यालय में विश्व ध्यान दिवस पर ध्यान सत्र का आयोजन*

*शारदा विश्वविद्यालय में विश्व ध्यान दिवस पर ध्यान सत्र का आयोजन*

शारदा विश्वविद्यालय में विश्व ध्यान दिवस पर ध्यान सत्र का आयोजन

(आशीष सिंघल)

ग्रेनो के नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज और छात्र कल्याण विभाग ने विश्व ध्यान दिवस पर ध्यान सत्र का आयोजन किया गया। सत्र में विश्वविद्यालय के स्टॉफ और छात्रों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और ध्यान लगाने के फायदे के बारे में जाना।
ऑर्ट ऑफ लिविंग संस्था के प्रतीक राय ने अपने भाषण में ध्यान के विभिन्न लाभों और आयामों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि ध्यान कोई लग्ज़री नहीं है, बल्कि यह एक आवश्यकता है।ध्यान हमें एकाग्र करने में मदद करता है और हमें अवसाद और गुस्से से दूर रखता है। ध्यान लगाने पर एकाग्रता बढ़ती है. अगर आपको किसी काम को करते समय ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत होने लगती है तो ध्यान लगाया जा सकता है।इससे याद्दाश्त तेज होने में भी मदद मिलती है। यह शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की कई बीमारियों में मदद कर सकता है। यह चिंता, अवसाद, नींद संबंधी विकार और तनाव से निपटने में मदद कर सकता है। यह माइंडफुलनेस में मदद करता है, भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार करता है, कार्यशील स्मृति को बढ़ाता है और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी लाभ पहुंचा सकता है।

विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज की डीन डॉ अन्विति गुप्ता ने ध्यान के प्राचीन भारतीय अभ्यास को व्यक्तिगत संतोष और आंतरिक शांति का साधन बताते हुए इसके महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह अभ्यास भारतीय सभ्यता के वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि पूरी दुनिया एक परिवार है। ध्यान लगाना एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे मन-मस्तिष्क को शांति मिलती है और सुकून का एहसास होता है. मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए खासतौर से ध्यान लगाया जाता है. ध्यान ना सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है बल्कि शारीरिक रूप से भी इसके फायदे मिलते हैं.

 

इस दौरान छात्र कल्याण विभाग के डीन डॉ प्रमोद कुमार,डॉ कपिल दवे, डॉ. रितु चाकू, डॉ. शिवओम आचार्य, शिवम भारद्वाज,आलोक गुप्ता,अवधेश तोमर समेत विभिन्न विभाग के डीन और एचओडी मौजूद रहे।

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