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*आईएएस राकेश कुमार सिंह यीडा के नये सीईओ बने *भूटानी की जय बुली,अरुणवीर सिंह हटाए गए*
*आईएएस राकेश कुमार सिंह यीडा के नये सीईओ बने *भूटानी की जय बुली,अरुणवीर सिंह हटाए गए*

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आईएएस राकेश कुमार सिंह यीडा के नये सीईओ बने
*भूटानी की जय बुली,अरुणवीर सिंह हटाए गए*
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राजेश बैरागी
ठीक आठ वर्ष और आठ महीने के बेहद लंबे कार्यकाल के बाद यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण यीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी पद से डॉ अरुणवीर सिंह आने वाले कल विदा हो जाएंगे।28 अक्टूबर 2016 को तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार द्वारा यीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी नियुक्त किए गए डॉ अरुणवीर सिंह 2020 में सेवानिवृत्त हो गए थे परन्तु वर्तमान योगी आदित्यनाथ सरकार ने उनकी उपयोगिता के दृष्टिगत उन्हें छः छः माह का सेवा विस्तार देते हुए निरंतर इस पद पर बनाए रखा। आने वाला कल 30 जून उनके वर्तमान सेवा विस्तार का अंतिम दिन होगा और आज ही योगी सरकार ने अपने विश्वस्त आईएएस अधिकारी राकेश कुमार सिंह को उनके स्थान पर नया मुख्य कार्यपालक अधिकारी घोषित कर दिया है। गाजियाबाद, कानपुर, मुरादाबाद जैसे महानगरीय जिलों के जिलाधिकारी और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रहे राकेश कुमार सिंह अच्छी छवि के अधिकारी माने जाते हैं। वो यीडा में भी बतौर अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी रह चुके हैं। वो संभवतः 1 जुलाई मंगलवार को पदभार ग्रहण करेंगे।उनके मुख्य कार्यपालक अधिकारी बनाए जाने के समाचार से यीडा में उत्साह का माहौल है। परंतु डॉ अरुणवीर सिंह को एक और सेवा विस्तार न मिलने को लेकर भी फिजाओं में सवाल तैर रहे हैं। नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा जैसी महत्वाकांक्षी परियोजना के शुरू होने के अंतिम चरण में डॉ अरुणवीर सिंह को अचानक हटाये जाने को लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं।यीडा क्षेत्र में रिकॉर्ड 11 विभिन्न औद्योगिक क्लस्टरों की रचना करने,यीडा का आगरा तक विस्तार करने तथा कर्ज में डूबे यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण को दस हजार करोड़ रुपए के सालाना बजट वाला प्राधिकरण बनाने वाले डॉ अरुणवीर सिंह के सेवा विस्तार को कहीं फिल्म सिटी प्रोजेक्ट की नजर तो नहीं लग गई। दरअसल गत वर्ष 27 जून को कंशेसनायर एग्रीमेंट होने के बावजूद फिल्म सिटी का निर्माण अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। इस प्रोजेक्ट के एक कंशेसनायर भूटानी बिल्डर द्वारा प्रस्तावित फिल्म सिटी प्रोजेक्ट को अपने बिल्डर तरीके से विकसित करने की मंशा बताई जाती है। डॉ अरुणवीर सिंह उसकी मंशा के आड़े आ रहे थे। उन्होंने पहले प्रस्तुत बिल्डिंग प्लान को खारिज कर दिया था। लखनऊ में शासन के गलियारों में तगड़ी लॉबिंग के बावजूद उसे अपने उद्देश्य में सफलता नहीं मिल पा रही थी। डॉ अरुणवीर सिंह की विदाई ही एकमात्र रास्ता बचा था। आज वह रास्ता खुल गया