*दिल्ली मेरी जान इंसानियत की पहचान 👏👏👏👏👏👏👏👏👏 धन्यवाद मेरी दिल्ली को।*
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दिल्ली मेरी जान
इंसानियत की पहचान
👏👏👏👏👏👏👏👏👏
धन्यवाद मेरी दिल्ली को।
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(आशीष सिंघल)
मैं भगवत प्रशाद शर्मा 25 अप्रैल 2025 शुक्रवार को दिल्ली बाराखंबा से मैट्रो द्वारा नोएडा बॉटानिकल जा रहा था। भूलवश मैं वैशाली वाली मैट्रो में बैठ गया और गाड़ी बदलने के लिये मैं यमुना बैंक मैट्रो स्टेशन पर उतरने लगा। मेरी गल्ती ये थी कि मुझे उतरने में थोड़ी देरी हो गयी। मेरा मैट्रो के गेट से बाहर निकलना हुआ और उसी समयावधि में एक दम से गेट का बंद होना हुआ। पहले तो मेरे को गेट के दोनों शटरों की तेज टक्कर लगी और उसके बाद मैं बाहर तो निकल गया परन्तु मेरा एक पैर मैट्रो के दरवाज़े के बीच फँस गया और मैं बेवश होकर बहुत तेज़ी के साथ धड़ाम से प्लेटफ़ार्म पर जा गिरा और मेरा एक पैर मैट्रो में ही फँसा रह गया। यह दृश्य बहुत ही जान लेवा हो सकता था।
मेरे घुटने, कोहनी और कोल्हू में बहुत ज़्यादा चोटें आयीं और मैं पीड़ा से तड़पने लगा। तभी वहाँ पर भाग कर एक दीदी जी अपनी दो बेटियों के साथ मेरे पास पहुँची। सबसे पहले उन्होंने मेरे पैर को मैट्रो के दरवाज़े खुलवाकर बाहर निकाला और फिर मुझे उठाकर सुरक्षित जगह पर पहुँचा कर मुझे बिठाया, पानी पिलाया और मेरी बहुत-बहुत सहायता की। मैट्रो की मैडीकल टीम जब तक पहुँची तब तक वो मेरे शरीर को दबाते रहें।क्योंकि मुझे असहनीय दर्द हो रहा था। मैं जीवन भर उनके इस उपकार को कभी नहीं भूल सकता। फ़ेस बुक के माध्यम से मैं उन दीदी जी का और उन दोनों बेटियों का हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ। उनके चर्ण स्पर्श करना चाहता हूँ।मेरी फ़ेसबुक को यदि वो देखेंगे तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी। उनके आशीर्वाद से ही मेरा जीवन बच गया। एक सज्जन और थे और मैट्रो मैडीकल टीम सभी ने मेरे जीवन की रक्षा की। आप सभी का बहुत-बहुत आभार बहुत-बहुत धन्यवाद।
भगवत प्रशाद शर्मा
पूर्व मीडिया एग्जीक्यूटिव
भाजपा ग्रेटर नौएडा (उ० प्र०)