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*खून खौल उठा देश का*

*खून खौल उठा देश का*

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*खून खौल उठा देश का*
सुरेन्द्र अग्रवाल


जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से पूरे देश का खून खौल उठा है। देशवासियों की निगाहें प्रधानमंत्री जी की ओर निहार रही हैं। हालांकि पीएम मोदी ने आतंक को पोषित करने वाले पाकिस्तान पर कड़े एक्शन लेकर अपने मंसूबे साफ कर दिए हैं। फिर भी जिस तरह से पुलवामा में हुए आतंकी हमले का मुंह तोड जवाब दिया गया था अबकी बार उससे भी भयानक रूप से बदला लेने का वक्त आ गया है।
गर्मियों की छुट्टी मनाने, तनाव से मुक्ति तथा हनीमून मनाने गये कपल को चुन चुन कर मौत के घाट उतारे जाने से देशवासियों की रुह कांप उठी है। पाकिस्तान जैसा हमारा पड़ोसी अब रहम के काबिल नहीं रहा। वो स्वयं तो भिखारी बन गया है और चाहता है कि कश्मीर में मुसलमान भी उसी की तरह भीख मांगते नजर आएं। क्योंकि कश्मीर की अर्थव्यवस्था टूरिस्ट पर आश्रित है।जब वहां टूरिस्ट यानी हिंदू धर्म के अनुयाई काश्मीर नहीं जाएंगे तो निसंदेह वहां की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ पाएगी। पर्यटकों पर हुए कायराना हमले की खबर मिलते ही गृहमंत्री अमित शाह तुरंत कश्मीर पहुंच गए और प्रधानमंत्री जी को अपना विदेश दौरा बीच में छोड़कर वतन वापस लौटना पड़ा। देशवासियों की ख्वाहिश है कि इस बार दुश्मन को ऐसा सबक सिखाना चाहिए कि वह भूगोल के नक्शे से गायब हो जाए।
इस घटना से आहत होकर देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी है तथा पाकिस्तान का झंडा जलाकर आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है।
एक बात और
प्रधानमंत्री जी। देश के बाहर जाकर देश को नीचा दिखाने वाले तत्वों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। सरकारों के खिलाफ विरोध करना जायज है। लोकतंत्र में यह आवश्यक है लेकिन विदेशों में जाकर देश को नीचा दिखाना असहनीय है। प्रधानमंत्री जी जिस 56 इंच सीने की दुहाई दी जाती है अब वह वक्त आ गया है कि 56 इंच सीने की ताकत दुनिया को दिखाई दे।

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