Blog

*हिन्दी मंचीय कविता एवं गद्य लेखन को कौशल विकास में शामिल करने की मांग*

*हिन्दी मंचीय कविता एवं गद्य लेखन को कौशल विकास में शामिल करने की मांग*

Powered by myUpchar

लखनऊ, 24 जून 2025
*हिन्दी मंचीय कविता एवं गद्य लेखन को कौशल विकास में शामिल करने की मांग*

आशीष सिंघल


उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आज दिनांक 24 जून 2025 को हिन्दी कवियों के अन्तर्राष्ट्रीय संगठन ललित फाउंडेशन के संस्थापक अंतरराष्ट्रीय कवि अमित शर्मा और ललित फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ख्याति प्राप्त साहित्यकार कुशल कुशलेन्द्र ने कौशल विकास मंत्री श्री कपिल देव अग्रवाल जी को एक महत्वपूर्ण ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में कविता लेखन, कंटेंट राइटिंग और स्क्रिप्ट राइटिंग को कौशल विकास मंत्रालय की योजनाओं में आधिकारिक रूप से शामिल करने की मांग की गई है। इस पहल का मूल उद्देश्य साहित्य और लेखन के क्षेत्र में कार्यरत कलमकारों को कौशल विकास मंत्रालय की योजनाओं का लाभ दिलाना और उनके कौशल को औपचारिक मान्यता प्रदान करना है।
ज्ञापन में इस बात पर बल दिया गया कि कविता, गद्य लेखन, कंटेंट राइटिंग और स्क्रिप्ट राइटिंग जैसे क्षेत्र न केवल सृजनात्मकता का प्रतीक हैं, बल्कि ये आधुनिक युग में रोजगार और स्वरोजगार के महत्वपूर्ण साधन भी हैं। डिजिटल युग में कंटेंट क्रिएशन, स्क्रिप्ट लेखन और साहित्यिक रचनाओं की मांग तेजी से बढ़ रही है। इन क्षेत्रों में कार्यरत युवाओं और साहित्यकारों को कौशल विकास योजनाओं के तहत प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और रोजगार के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए।
अमित शर्मा ने कहा, “कविता और साहित्यिक लेखन न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं, बल्कि यह एक ऐसा कौशल है जो भावनाओं को व्यक्त करने के साथ-साथ सामाजिक बदलाव का माध्यम भी बन सकता है। इसे कौशल विकास का हिस्सा बनाकर हम नई पीढ़ी को प्रेरित कर सकते हैं।” वहीं, कुशल कुशलेंद्र ने जोर देकर कहा कि “कंटेंट और स्क्रिप्ट राइटिंग आज मीडिया, विज्ञापन और मनोरंजन उद्योग की रीढ़ हैं। इन क्षेत्रों में कार्यरत लोगों को औपचारिक प्रशिक्षण और समर्थन की आवश्यकता है।”
कौशल विकास मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने ज्ञापन स्वीकार करते हुए इस मांग को गंभीरता से लेने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि साहित्य और लेखन जैसे रचनात्मक क्षेत्रों को कौशल विकास योजनाओं में शामिल करने की संभावनाओं पर विचार किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक युवाओं को इसका लाभ मिल सके।
यह पहल न केवल साहित्यकारों और लेखकों के लिए एक नई दिशा प्रदान करेगी, बल्कि उत्तर प्रदेश में सांस्कृतिक और रचनात्मक उद्योगों को भी मजबूती देगी। इस अवसर पर साहित्यिक समुदाय ने इस प्रयास की सराहना की और इसे एक ऐतिहासिक कदम बताया।

Related Articles

Back to top button