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*जिम्मेवार कौन: सरकार या नागरिक?”

*जिम्मेवार कौन: सरकार या नागरिक?*

जिम्मेवार कौन: सरकार या नागरिक?

(आशीष सिंघल)

रविवार की सुबह दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाले कालिंदी कुंज पुल पर प्लास्टिक और कचरे का ढेर फैल गया था, जिससे वहां से गुजरने वाले वाहनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। कचरे में फंसे पॉलिथीन कई गाड़ियों के शीशों और हेलमेट से टकरा गए, जिससे कई दुर्घटनाएं होते-होते बचीं।

यह दृश्य त्यौहारों के बाद का है, जब लोग मां भगवती की पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धा भाव से अपने पूजा सामग्री को यमुना में विसर्जित कर देते हैं। इस प्रकार का व्यवहार यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण का बड़ा कारण बनता जा रहा है। यमुना का प्रदूषण स्तर दिन-प्रतिदिन खतरनाक स्थिति में पहुंच रहा है, लेकिन लोग अपनी भावनाओं और परंपराओं से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।

वाई एस एस फाउंडेशन के यमुना कोऑर्डिनेटर दिनेश कुमार, जो हर रविवार यमुना घाट की सफाई के लिए जाते हैं, इस रविवार जब उन्होंने पुल पर फैले प्लास्टिक के ढेर को देखा, तो उन्होंने घाट पर न जाकर पुल पर ही सफाई अभियान शुरू कर दिया। चार घंटे तक चले इस अभियान के दौरान पुल से बड़ी मात्रा में कचरा हटाया गया।

यह प्रश्न उठता है कि आखिर यमुना के बढ़ते प्रदूषण के लिए जिम्मेवार कौन है—सरकार या नागरिक? जहां एक ओर सरकार का काम नदियों की सफाई और सुरक्षा के लिए कदम उठाना है, वहीं नागरिकों का भी कर्तव्य है कि वे अपनी आस्थाओं का पालन करने के साथ-साथ पर्यावरण का ध्यान रखें और कचरे का सही निपटान करें।

इस घटना ने फिर से एक बार जागरूकता की आवश्यकता को सामने ला खड़ा किया है कि हमें अपनी नदियों को बचाने के लिए गंभीरता से सोचना होगा।

वाई एस एस फाउंडेशन

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