*आत्मसम्मान जीत गया*
सुरेन्द्र अग्रवाल
कुदरत भी कैसे कैसे खेल खेलती है। सिस्टम की खामियों से अपमानित हुआ एक नौजवान इतना आहत हो गया कि उसने अपनी जीवनलीला समाप्त करने का संकल्प ले लिया और कलेक्टर के पास इच्छामृत्यु की स्वीकृति का आवेदन लेकर पहुंच गया। परंतु कलेक्टर ने धैर्य पूर्वक उसकी आपबीती सुनने के बाद उस नौजवान को गणतंत्र दिवस समारोह का मुख्य अतिथि बना दिया।
अपने जीवन से निराश और अपमानित नौजवान को जब गणतंत्र दिवस समारोह का मुख्य अतिथि बनाया गया तो उसके आंसू छलक पड़े। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि उसके जीवन में कभी ऐसा मौका भी आएगा।
यह मामला कानपुर जैसे महानगर का है। दरअसल राकेश सोनी नामक आटो चालक जब आटो में सवारियां बैठा रहा था तभी कुछ ई रिक्शा चालकों से उसकी बहस हो गई थी। मौके पर पहुंचे ट्राफिक इंस्पेक्टर ने दुर्व्यवहार कर उसे अपमानित किया।इस घटना से वह इतना आहत हुआ कि उसने अपनी जीवनलीला समाप्त करने का निर्णय लिया।इस घटनाक्रम के बाद अपनी वेदना सुनाने कलेक्टर जितेन्द्र प्रताप सिंह के दरबार में पहुंच गया। अपनी बारी आने पर वह कलेक्टर के सामने फूट फूटकर रोने लगा और बोला कि मुझे इच्छामृत्यु चाहिए। उसने कहा कि नौबस्ता चौराहे पर ट्रैफिक इंस्पेक्टर ने उसे बहुत अपमानित किया, जिससे वह बहुत आहत हो गया है। कलेक्टर ने राकेश की आपबीती सुनने के बाद न केवल उसे सांत्वना दी बल्कि एक अनोखा कदम उठाते हुए और उसका आत्मसम्मान लौटाने के लिए उसे उसे गणतंत्र दिवस समारोह का मुख्य अतिथि बनाने का आमंत्रण पत्र सौंप दिया। कलेक्टर ने राकेश से कहा कि आपके आत्मसम्मान की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। इसके बाद कलेक्टर ने मामले की गंभीरता देखते हुए संबंधित के खिलाफ जांच के आदेश दिए।
इस मामले को भले ही लोग गंभीरता से नहीं लें। लेकिन यह घटना सभी के लिए आत्म अनुशासन,आत्म अवलोकन करने के लिए पर्याप्त है। हमारी वाणी,हमारा व्यवहार और हमारी लेखनी कितने लोगों को आघात पहुंचाती है, यह विचारणीय है। क्योंकि मुंह से निकली बोली, बंदूक से निकली गोली और स्याही (अब व्हाट्सएप) से निकली लेखिनी वापिस नहीं लौटती है।