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*सरकारी मैडीकल स्टोर पर ताला, चिकित्सक नदारद चौकीदार लगा रहा है मरीजों को इंजेक्शन*

*सरकारी मैडीकल स्टोर पर ताला, चिकित्सक नदारद चौकीदार लगा रहा है मरीजों को इंजेक्शन*

मेडिकल स्टोर पर ताला, चिकित्सक नदारद
चौकीदार लगा रहा है मरीजों को इंजेक्शन

(आशीष सिंघल)


दनकौर। कस्बे में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को कई दशक पहले करीब 84 गांव की लाखों की आबादी को अच्छी स्वास्थ्य सेवा देने के लिए बनाया गया था। लेकिन मौजूदा वक्त में स्वास्थ्य केंद्र का भवन जर्जर है। मरीजों को मिलने वाली पानी व बिजली आदि की मूलभूत सुविधा तक नही है। अस्पताल परिसर में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। मरीजों की बीमारी की जांच मशीन नहीं है।
शुक्रवार को अमर उजाला ने केंद्र पर जाकर पड़ताल की तो देखा कि मेडिकल स्टोर पर ताला लगा हुआ है। ओपीडी व डिलवरी कक्ष में चिकित्सक मौजूद नही था। कुत्ता और बंदर के काटे हुए आने वाले मरीजों को चौकीदार इंजेक्शन लगा रहा है। सुबह से ही दवाई आदि के लिए मरीजों की लाइन लगी थी। अस्पताल के खुलने के समय से करीब 30 मिनट बाद बतौर संविदाकर्मी काम कर रहे एक रिटायर्ड पूर्व सीएमओ नेपाल सिंह पहुंचे। कुछ देर बाहर परिसर में धूप सेकने के बाद ओपीडी कक्ष में बैठ गए। चिकित्सक से चौकीदार के मरीजों को इंजेक्शन लगाने की बात पूछी तो तिलमिला कर बोले हम भी चौकीदार से सीखकर ही डॉक्टर बने हैं। हालांकि करीब 1 घंटे की देरी से चिकित्सक और कर्मचारी पहुंच गए। मुख्य चिकित्सक रात को ड्यूटी करने के बाद दिन में अवकाश पर थे।
सुबह 10 बजे
रोशनपुर निवासी सुभाषचंद्र शर्मा अस्थमा व रियासत निवासी डेरीन ख़ूबन बुखार की दवाई लेने के लिए सुबह 9 बजे से ही ओपीडी कक्ष के सामने बैठे थे। समय पर चिकित्सक नही आने के कारण दोनों नाराज थे और अस्पताल व्यवस्था को कोष रहे थे। इतने में एक बच्चे समेत 2 मरीज भी दवाई लेने आ गए। मेडिकल स्टोर पर ताला लगा देख परेशान हो गए। बाद
10:15 बजे
लोकेश निवासी सलारपुर, राजकुमार निवासी कनारसी कुत्ता और बंदर के काटे हुए का इंजेक्शन के लिए पहुंचे। चिकित्सक नही होने पर चौकीदार ने दोनों से बाहर के मेडिकल स्टोर से सिरिंज मंगाई और खुद ही इंजेक्शन लगा दिया।
10:20 बजे
डॉक्टर नीरज ने दौड़ कर एक कक्ष खोला और झाड़ू लेकर साफ सफाई में जुट गए। एक मरीज ने कक्ष के गेट पर पहुंचा और टीवी की जांच व दवाई के लिए कहा तो डॉक्टर ने कुछ देर बाद आने की कहकर टरका दिया। हालांकि कुछ देर बाद मरीजों को अंदर बुलाना शुरू कर दिया था।
10:25 बजे
अस्पताल में उत्तर प्रदेश सरकार लिखी हुई अस्पताल के मुख्य गेट से अंदर आई। जिसमें रिटायर्ड पूर्व सीएमओ नेपाल सिंह थे। उनके साथ ही मरीजों को पर्ची देने वाला वार्ड बॉय भी काउंटर पर आ बैठा। आनन फानन में मेडिकल स्टोर का ताला भी खोला गया। मरीजों की लाइन सुबह से लगी हुई थी। पूर्व सीएमओ ने भी मरीजों को नही देखा।
10:43 बजे
अस्थमा चिकित्सक से एक मरीज ने लेट आने का कारण पूछा तो चिकित्सक ने आंख लाल पीली करके जवाब दिया कि हम सरकारी डॉक्टर है और तुम लोगों हमारी कलम की ताकत अंदाजा नही है। चिकित्सक को गुस्से होते देख मरीज ने ही हाथ जोड़कर माफी मांगी और दवाई देने को कहा।
10:58 बजे
ओपीडी के चिकित्सक हरीओम अस्पताल आये और सीधे पर्ची काउंटर पर पहुंचे। कुछ देर बाद बाहर आकर धूप सेकी और कुर्सी पर बैठे। लेकिन जब तक कई मरीज इंतजार करने के बाद वापस निराश होकर लौट चुके थे। उनसे बात की तो बताया कि करीब 2 सौ मरीजों को ओपीडी में रोजाना देखा जाता है।
11:30 बजे
परिसर में महिलाओं के लिए बने डिलीवरी कक्ष के आगे आधा दर्जन महिला चिकित्सक का इंतजार कर रही थी। कक्ष के अंदर साफ सफाई कर रही महिला ने बताया कि यहां दो चिकित्सक तैनात की गई है, लेकिन अस्पताल दोनों ही नहीं आती हैं। एएनएम अस्पताल परिसर में रहती हैं, लेकिन ये भी देरी से ही पहुंचती हैं। यहां यही हाल है।
अधिकांश स्वास्थ्य सुविधाएं विभाग ने यहां से हटाकर डाढा में स्थित अस्पताल में मुहैया करा दी हैं। चिकित्सक भी कम हैं। जांच की मशीन खराब पड़ी हुई हैं। भवन भी जर्जर है। अधिक सर्दी के कारण कभी कभी पहुंचने में देरी हो जाती है। चौकीदार द्वारा द्वारा इंजेक्शन लगाने की जानकारी नहीं है। जांच कर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही अन्य स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को भी बेहतर किया जाएगा।—– डॉ अशोक कुमार, मुख्य चिकित्सा प्रभारी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दनकौर

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